26 जनवरी पर कविता रिपब्लिक डे पोएम इन हिन्दी 26 January Poem in Hindi 2021 Gantantra Diwas Republic Day Kavita Hindi Poem Kavita 26 January Gantantra Diwas Par Kavita in Hindi गणतंत्र दिवस पर लेटेस्ट कविता

देखो फिर से गणतंत्र दिवस आ गया,
जो आते ही हमारे दिलों-दिमाग पर छा गया।
यह है हमारे देश का राष्ट्रीय त्यौहार,
इसलिए तो सब करते हैं इससे प्यार।

इस अवसर का हमें रहता विशेष इंतजार,
क्योंकि इस दिन मिला हमें गणतंत्र का उपहार।
आओ लोगो तक गणतंत्र दिवस का संदेश पहुचाएं,
लोगो को गणतंत्र का महत्व समझाये।

गणतंत्र द्वारा भारत में हुआ नया सवेरा,
इसके पहले तक था देश में तानाशाही का अंधेरा।
क्योंकि बिना गणतंत्र देश में आ जाती है तानाशाही,
नही मिलता कोई अधिकार वादे होते हैं हवा-हवाई।

तो आओ अब इसका और ना करें इंतजार,
साथ मिलकर मनाये गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय त्योहार।

Heart Touching Poem on Republic Day in Hindi

26 जनवरी पर कविता रिपब्लिक डे पोएम इन हिन्दी 26 January Poem in Hindi 2021 Gantantra Diwas Republic Day Kavita Hindi Poem Kavita 26 January Gantantra Diwas Par Kavita in Hindi गणतंत्र दिवस पर लेटेस्ट कविता

आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,

अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

अपना 67वाँ गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेगे,
देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।

26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था,
भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंड़ा फहराया था।

मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,
थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी,
था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित था भारत सारा।

विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है,
पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है।

इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,
थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये,
आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर लेटेस्ट कविता

भारत देश हमारा है, यह हमको जान से प्यारा है
दुनिया में सबसे न्यारा, यह सबकी आंखों का तारा है
मोती हैं इसके कण- कण में, बूँद- बूँद में सागर है
प्रहरी बना हिमालय बैठा, धरा सोने की गागर है
भूमि ये अमर जवानों की है, वीरों के बलिदानों की
रत्नों के भंडार भरे हैं, गाथा स्वर्णिम खानों की
सत्य, अहिंसा, शांति बाँटता, इसकी शान तिरंग़ा है
गोद खेलती नटखट नदियाँ, पावन यमुना- गंगा है
चंदन की माटी से महके, मातृभूमि को वंदन है
कोटि-कोटि भारतवालों का, सुंदर सा यह नंदन है
दुनिया में सबसे न्यारा यह, सबकी आँखों का तारा है
हमको जान से प्यारा यह, भारत देश हमारा है.-
जय हिन्द ,जय भारत

Republic Day Poem in Hindi 2022

26 जनवरी को आता हमारा गणतंत्र दिवस,
जिसे मिलकर मनाते हैं हम सब हर वर्ष।

इस विशेष दिन भारत बना था प्रजातंत्र,
इसके पहले तक लोग ना थे पूर्ण रूप से स्वतंत्र।

इसके लिए किये लोगो ने अनगिनत संघर्ष,
गणतंत्र प्राप्ति से लोगों को मिला नया उत्कर्ष।

गणतंत्र द्वारा मिला लोगों को मतदान का अधिकार,
जिससे बनी देशभर में जनता की सरकार।

इसलिए दोस्तों तुम गणतंत्र का महत्व समझो,
चंद पैसो की खातिर अपना मतदान ना बेचो।

क्योंकि यदि ना रहेगा हमारा यह गणतंत्र,
तो हमारा भारत देश फिर से हो जायेगा परतंत्र।

तो आओ हम सब मिलकर ले प्रतिज्ञा,
मानेंगे संविधान की हर बात ना करेंगे इसकी अवज्ञा।

Very Short Poem on Republic Day in Hindi For Class 1, 2, 3, 4, 5

हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है,
आके मकतल में यह कातिल कह रहा है बार बार,
क्या तमनाये शहादत भी किसी के दिल में है,

एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल में है,
एक शहीदे मुल्क मिल्लत तेरे कदमों पर निसारा,

तेरी कुर्बानी का चर्चा गैर की महफिल में है,
अब न अगले वल्वले हैं और अरमानों की भीड़
एक मिट जाने की हसरत अब दिले ‘बिलस्मिल’ में है।

26 जनवरी पर कविता

लो आज छब्बीस जनवरी का दिन आया,
सबके दिलों में तिरंगा लहराया।
किसी की प्रोफाइल, तो किसी के फेसबुक में
फिर से है तिरंगा छाया।
लो आज छब्बीस जनवरी का दिन आया।।

आज एक साल बाद फिर से सबको देश का है ख्याल आया।
छोटे छोटे मुद्दों पर सियासी रोटी सेकने वालों को,
आज सियाचिन का शेर नज़र आया,
लो आज छब्बीस जनवरी का दिन आया।।

साल भर बेआबरू करते रहे जिस माँ को,
उस भारत माँ का जयकार पूकारने वाला नज़र आया,
कभी गौ हत्या, कभी जल्लीकट्टू,
तो कभी पद्मावती के नाम पर अपने ही लोगों को मारने वाला हर वो शख्स,
आज तिरंगे को सलाम करता नज़र आया।
लो आज छब्बीस जनवरी का दिन आया।।

26 January Republic Day Hindi Poem Kavita

मत घबराओ, वीर जवानों
वह दिन भी आ जाएगा।
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
कोई वीर अभिमन्यु बनकर ,
चक्रव्यू को तोड़ेगा
कोई वीर भगत सिंह बनकर अंग्रेजो के सिर फोढेगा।।
धीर धरो तुम वीर जवानों ,
मत घबराओ वीर जवानों
वह दिन भी आ जायेगा
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
कलकल करती गंगा यमुना ,
जिसके गुण ये गाती हैं
भारत की इस पुण्य धरा में,
अपना गुंजार सुनती हैं।।
आज तिरंगे के रंगों को फीका नहीं होने देगे
इस तिरंगे की शान के लिए ,
अपना सर्वस्व लूटा देगे।।
अब मत घबराओ वीर शहीदों ,
मत घबराओ वीर जवानों
वह दिन भी आ जायेगा ,
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।
वीर अमर शहीदों की कुर्बानी को,
कोई भुला ना पाएगा
जब आत्याचार बढ़ेगा धरती पर,
एक महापुरुष आ जायेगा
मत घबराओ वीर जवानों
जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।

26 जनवरी पर कविता

छोड़ हिंसा को, अहिंसा अपनाकर हमें दिखाना है
बापू के आदर्शों पे भी चल के हमे बताना है
नई सदी के लोग हैं हम कुछ कर के हमें दिखाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना हैl

शिक्षित अगर पूरा समाज हो जाए तो ये देश फिर और आगे बढ़ जाएगा
देश का हर बच्चा तब गाँधी, सुभाष बन पाएगा
शिक्षा की इस जोत को घर-घर में हमें जलाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना हैl

डूब रही है सभ्यता संस्कृति चारों ओर अंधकार है
मिट रही है दुनियाँ सारी चारों ओर कोहराम है
डूबती हुइ सभ्यता संस्कृति जो, उसको हमें बचाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना है

कहने से बड़ी-बड़ी बातें कुछ नहीं मिल जाएगा
जो है, जैसा है सब वैसा हीं रह जाएगा
सो चुके इस समाज को फिर से हमें जगाना है
आओ मिल कर के हम सब को प्यारा हिन्दुस्तान बनाना हैl

26 January Republic Day Short Poem in Hindi

वतन हमारा ऐसे न छोर पाए कोई,
वतन हमारा ऐसे न छोर पाए कोई,
रिश्ता हमारा ऐसा ना तोड़ पाए कोई,
दिल है हमारे एक है, एक है हमारी जान,
दिल है हमारे एक है, एक है हमारी जान,
हिन्दुस्तान हमारा है हम है इसकी शान ||

Very Short Republic Day Poem in Hindi

जब सूरज संग हो जाए अंधियारों के साथ
तब दीये का टिमटिमाना जरूरी है।
जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में
तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है।

जब देश को खतरा हो गद्दारों से
तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है।
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का
तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है।

जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में
तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है।
जब नारी खुद को असहाय पाए
तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है।

जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश
तो फिर सुभाष का आना जरूरी है।
जब सीधे तरीकों से देश न बदले
तब विद्रोह जरूरी है।

गणतंत्र दिवस 2022 पर कविता

चलो आज जवानो को दें सलाम,
चाहे वो हिन्दू हो या चाहे मुसलमान,
देश के लिए देशवासियों करो श्रमदान,
फिर बने सोने की चिड़िया हम सबका हो यही अरमान!

आज सब छोड़ दो अपना सारा काम,
याद करो उनको जिन्होंने भारत को किया आजाद,
उन वीरों के याद में गुजारो आज की शाम,
चाहे वो भक्त रहीम का हो या चाहे राम!

आओ आज शपथ लें एकता के साथ,
मिल जुलकर हम लोग करेंगें अपना काम,
कोई भी बाकी ना रह जाये इस शाम,
चाहे वो गरीब हो चाहे धनवान!

जिस धरती पर जन्में राम और कृष्ण जैसे भगवान,
वो कोई और नहीं अपना देश है महान,
देश के लिए कितने वीरो ने दिये बलिदान,
वो है महान देश अपना हिन्दुस्तान!

बच्चों के लिए गणतंत्र दिवस पर कविता हिंदी में

आज तिरंगा फहराते है
अपनी पूरी शान से
हमें मिली आजादी
वीर शहीदों के बलिदान से!!

आजादी के लिए हमारी
लंबी चली लड़ाई थी
लाखों लोगों ने प्राणों से
कीमत बड़ी चुकाई थी!!

व्यापारी बनकर आए और
छल से हम पर राज किया
हमको आपस में लड़वाने की
नीति पर उन्होंने काम किया!!

हमने अपना गौरव पाया
अपने स्वाभिमान से
हमें मिली आज़ादी
वीर शहीदों के बलिदान से!!

गांधी, तिलक, सुभाष,
जवाहर का प्यारा यह देश है
जियो और जीने दो का
सबको देता संदेश है!!

लगी गूंजने दसों दिशाएं
वीरों के यशगान से
हमें मिली आजादी वीर
शहीदों के बलिदान से!!

हमें हमारी मातृभूमि से
इतना मिला दुलार है
उसके आंचल की छाया से
छोटा यह संसार है!!

विश्व शांति की चली हवाएं
अपने हिंदुस्तान से
हमें मिली आज़ादी
वीर शहीदों के बलिदान से!!

गणतंत्र दिवस पर कविता 2022

संविधान आजादी वाला,
बच्चो ! इस दिन आया
इसने दुनिया में भारत को,
नव गणतंत्र बनाया!

क्या करना है और नही क्या ?
संविधान बतलाता
भारत में रहने वालों का,
इससे गहरा नाता!!

यह अधिकार हमें देता है,
उन्नति करने वाला
ऊँच-नीच का भेद न करता,
पण्डित हो या लाला!!

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
सब हैं भाई-भाई
सबसे पहले संविधान ने,
बात यही बतलाई!!

इसके बाद बतायी बातें,
जन-जन के हित वाली
पढ़ने में ये सब लगती हैं,
बातें बड़ी निराली!!

लेकर शिक्षा कहीं, कभी भी,
ऊँचे पद पा सकते
और बढ़ा व्यापार नियम से,
दुनिया में छा सकते!!

देश हमारा, रहें कहीं हम,
काम सभी कर सकते
पंचायत से एम.पी. तक का,
हम चुनाव लड़ सकते!!

लेकर सत्ता संविधान से,
शक्तिमान हो सकते
और देश की इस धरती पर,
जो चाहे कर सकते!!

लेकिन संविधान को पढ़कर,
मानवता को जाने
अधिकारों के साथ जुड़ें,
कर्तव्यों को पहचानो!!

गणतंत्र दिवस पर वीर रस की कविता

मत घबराओ, वीर जवानों
वह दिन भी आ जाएगा
जब भारत का बच्चा-बच्चा देशभक्त बन जाएगा।

कोई वीर अभिमन्यु बनकर, चक्रव्यू को तोड़ेगा
कोई वीर भगत सिंह बनकर अंग्रेजो के सिर फोड़ेगा।

धीर-धरो तुम वीर जवानों, मत घबराओ वीर जवानों
वह दिन भी आ जायेगा जब भारत का बच्चा-बच्चा देशभक्त बन जाएगा।

कलकल करती गंगा यमुना, जिसके गुण ये गाती हैं
भारत की इस पुण्य धरा में, अपना गुंजार सुनती हैं।

आज तिरंगे के रंगों को फीका नहीं होने देगे
इस तिरंगे की शान के लिए, अपना सर्वस्व लूटा देगे।

अब मत घबराओ वीर शहीदों, मत घबराओ वीर जवानों
वह दिन भी आ जायेगा, जब भारत का बच्चा-बच्चा देशभक्त बन जाएगा।

वीर अमर शहीदों की कुर्बानी को, कोई भुला ना पाएगा
जब आत्याचार बढ़ेगा धरती पर, एक महापुरुष आ जायेगा।

26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर कविता

मोह निंद्रा में सोने वालों, अब भी वक्त है जाग जाओ
इससे पहले कि तुम्हारी यह नींद राष्ट्र को ले डूबे
जाति-पाती में बंटकर देश का बन्टाधार करने वालों
अपना हित चाहते हो, तो अब भी एक हो जाओ
भाषा के नाम पर लड़ने वालों
हिंदी को जग का सिरमौर बनाओ
राष्ट्र हित में कुछ तो बलिदान करो तुम
इससे पहले कि राष्ट्र फिर गुलाम बन जाए
आधुनिकता केवल पहनावे से नहीं होती है
ये बात अब भी समझ जाओ तुम
फिर कभी कहीं कोई भूखा न सोए
कोई ऐसी क्रांति ले आओ तुम
भारत में हर कोई साक्षर हो
देश को ऐसे पढ़ाओ तुम.......

गणतंत्र दिवस पर कविता

नील गगन में बड़ी शान से, आज तिरंगा फहराया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

पराधीन भारत माता ने, जाग के ली अंगडाई थी
वीरों की टोली की टोली , शीश चढाने आयी थी
आज़ादी की जंग चली जब, देख फिरंगी घबराया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया !

हाथ तिरंगा तान के सीना, बढ़ते थे जब बलिदानी
भारत माँ की आज़ादी को, जान की भी दी कुर्वानी
आज़ादी के मतवालों ने, इसे देश में लहराया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

शत शत नमन है उन वीरों को, आज़ादी थी दिलवाई
फांसी के फंदे पर झूले, सीने पर गोली खाई
कितने अत्याचार सहे थे, जेलों में जब ठूसवाया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

जाति धर्म का भेद न, सबको समता का अधिकार है
मौके सबको मिले बराबर, कोई नहीं लाचार है
अनुपम सविधान है अपना, जिसको हमने अपनाया
भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया !

वोट डालकर सभी बनाते, भारत की सरकार यहाँ
जनता है सर्वोच्च यहाँ पर, नेता चौकीदार यहाँ
जब जनता ने चाहा, सत्ता में बदलाव सहज आया
भारत का गंणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

गणतंत्र दिवस पर स्कूल में बोलने के लिए कविता

वतन की सर-ज़मीं से इश्क़ ओ उल्फ़त हम भी रखते हैं
खटकती जो रहे दिल में वो हसरत हम भी रखते हैं
ज़रूरत हो तो मर मिटने की हिम्मत हम भी रखते हैं

ये जुरअत ये शुजाअत ये बसालत हम भी रखते हैं
ज़माने को हिला देने के दावे बाँधने वालो
ज़माने को हिला देने की ताक़त हम भी रखते हैं
बला से हो अगर सारा जहाँ उन की हिमायत पर

ख़ुदा-ए-हर-दो-आलम की हिमायत हम भी रखते हैं
बहार-ए-गुलशन-ए-उम्मीद भी सैराब हो जाए
करम की आरज़ू ऐ अब्र-ए-रहमत हम भी रखते हैं
गिला ना-मेहरबानी का तो सब से सुन लिया तुम ने

तुम्हारी मेहरबानी की शिकायत हम भी रखते हैं
भलाई ये कि आज़ादी से उल्फ़त तुम भी रखते हो
बुराई ये कि आज़ादी से उल्फ़त हम भी रखते हैं
हमारा नाम भी शायद गुनहगारों में शामिल हो
जनाब-ए-‘जोश’ से साहब सलामत हम भी रखते हैं..

स्कूल में बोलने के लिए कविता 26 जनवरी गणतंत्र दिवस की कविता

देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी
अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध
हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन
लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन
नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन
अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन
2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन
सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है
आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है
संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है
लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है
गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है..

26 January Gantantra Diwas Par Kavita in Hindi

आओ करे प्रतिज्ञा हम सब
इस पावन गणतन्त्र दिवस पर
हम सब बापू के आदर्शों
को अपनायेगे
नया समाज बनायेंगे

भारत माँ के वीर सपूतों
के बलिदानों को हम
व्यर्थ न जानें देंगे
जाति, धर्म के भेदभाव से
ऊपर उठकर
नया समाज बनायेंगे

आजादी को मिले हुये
है अब अड़सठ साल
क्या सही मायनों में
हम आजादी के अर्थों
को समझ पायें है

क्या बापू के आदर्शों को
अपना पायें है
अंग्रजो की गुलामी से
निकल कर हम
क्या जाति, धर्म, गरीबी, भष्टाचार
जैसे मुद्दों से लड़ पाये है

आओ आज करे प्रतिज्ञा हमसब
जो गरीब के घर न जले चूल्हा
तो हम भी निवाला नहीं खायें
बीनता कचरा जो बचपन
हम देखें
रातों को हम भी न सो पायें

शहीद सैनिको के परिवारों को
देख बिलखता
हम भी खामोश न रह पाये
मिलकर साथ आओ हमसब
करे प्रतिज्ञा आज
इस पावन गणतन्त्र दिवस पर
हम बापू के आदर्शों को अपनाये
नया समाज बनाये..

गणतंत्र दिवस 2022 पर कविता

मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी,
सीमा की रक्षा करता हूं।

 जो आके टकराता है,
अहम चूर भी करता हूं।

 दुश्मन की कोई भी,
दाल न गलती।
लड़कर दूर भगाता हूं,
अपने भारत के वीर गीत को,
हर मौके पर गाता हूं।

आतंकवादी अवसरवादी,
आने से टकराते हैं।
आ गए मेरी भूमि में,
तहस-नहस हो जाते हैं।

अपने देश की माटी का,
माथे पर तिलक लगाता हूं।

गणतंत्र दिवस पर कविता

देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी।
अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।

हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन,
लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन।

नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन,
अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,
2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।

Heart Touching Poem on Republic Day in Hindi

तेरी जिंदगी से बहुत दूर चले जाना है,
फिर न लौट कर इस दुनिया में आना है,
बस अब बहुत हुआ,
अब किसी का भी चेहरा इस दिल में कभी नहीं बसाना है,
तुम्हारी जिंदगी में अब मैं नहीं,
तुम्हारी जिंदगी में अब कोई और सही,
पर मेरे दिल में तुम हमेशा रहोगे,
मेरा अधूरा ख्वाब बनकर, मेरे हमनशीं,
न कर मुझे याद करके मुझपर और एहसान,
ऐसा न हो मुझे पाने की तमन्ना में,
चली जाए तेरी जान,
मैं भी कोशिश करूँगा भुलाने की तुझे,
नहीं तो हो जाऊँगा तेरे नाम पर कुर्बान ,
हसरतें दिल में दबी रह गयी,
तुझे पाकर भी जिंदगी में कुछ कमी रह गयी,
आँखों में तड़प और दिल में दर्द अब भी है,
न जाने तेरे जाने के बाद भी,
आँखों में नमी रह गयी,
मन करता है जो दर्द है दिल में,
बयां कर दूँ हर दर्द तुझसे,
अब ये दर्द छुपाए नहीं जाते,
लेकिन नहीं कह सकता कुछ तुझसे,
क्योंकि दिलो के दर्द दिखाए नहीं जाते!

गणतंत्र दिवस पर कविता

आज नई सज-धज से
गणतंत्र दिवस फिर आया है
नव परिधान बसंती रंग का
माता ने पहनाया है

भीड़ बढ़ी स्वागत करने को
बादल झड़ी लगाते हैं
रंग-बिरंगे फूलों में
ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं

धरनी मां ने धानी साड़ी
पहन श्रृंगार सजाया है
गणतंत्र दिवस फिर आया है

भारत की इस अखंडता को
तिलभर आंच न आने पाए
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं

युवा वर्ग सक्षम हाथों से
आगे इसको सदा बढ़ाएं
इसकी रक्षा में वीरों ने
अपना रक्त बहाया है
गणतंत्र दिवस फिर आया है..

26 January Gantantra Diwas Par Kavita in Hindi

यह मेरा आजाद तिरंगा
लहर लहर लहराए रे
भारत माँ मुस्काए तिरंगा
लहर लहर लहराए रे!!

इस झंडे का बापू जी ने
कैसा मान बढ़ाया है
लाल किले पर नेहरू जी
ने यह झंडा फहराया!!

माह जनवरी छब्बीस को हम
सब गणतंत्र मनाते
और तिरंगे को फहरा कर,
गीत ख़ुशी के गाते!!

गणतंत्र दिवस पर कविता

विजय पर्व गणतंत्र दिवस है
नव भारत की नव पहचान,
कोटि कोटि जनता ने पाया
अपना निर्मित नया विधान।

हुए सभी हम भारतवासी
अपनी किस्मत के निर्माता,
अंग्रेजी काले नियमों से
मुक्त हो गई भारतमाता।

बिना भेद के पाई सबने
एक अनोखी अवसर-समता,
जनता ने पहचानी फिर से
विश्व – पटल पर अपनी क्षमता।

लहर लहर कर नीलगगन में
लगा फहरने भारत का ध्वज,
एक राष्ट्र में बँधकर महकी
संप्रभुता से गर्वोन्नत रज।

जनता को सर्वोच्च समझकर
लोकतंत्र हमने अपनाया,
धर्मों से निरपेक्ष रहे हम
राष्ट्रगान को मिलकर गाया।

वीर शहीदों की कुर्बानी
व्यर्थ नहीं जाने पाएगी,
देशप्रेम की भीनी खुशबू
जन गण मन को महकाएगी।

हो सद्भाव सभी के मन में
कहीं न हो आतंकी दंगा,
अमर रहे गणतंत्र हमारा
रहे फहरता सदा तिरंगा।

गणतंत्र दिवस पर कविता

जब सूरज संग हो जाए अंधियार के, तब दीये का टिमटिमाना जरूरी है|
जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में, तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है|
जब देश को खतरा हो गद्दारों से, तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है|
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का, तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है|
जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में, तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है|
जब नारी खुद को असहाय पाए, तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है|
जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश, तो फिर सुभाष का आना जरूरी है|
जब सीधे तरीकों से देश न बदले, तब विद्रोह जरूरी है||

गणतंत्र दिवस पर कविता

आया “राष्ट्र पर्व”
गणतंत्र हमारा है.!!

हिन्द देश के वासी हम
“जय हिन्द” जय घोष हमारा है..!!

हर तरफ देखो लग रहा
“जय हिन्द” का नारा है.!!

लिए तिरंगा हाथ में देश,
झूम रहा आज सारा है.!!

तीन रंगों में रंगा तिरंगा
सब रंगों से प्यारा है..!!

केसरीया देता संदेश अमन का
सुख समृद्धि देता रंग हारा है.!!

सफेद शांति लिए चक्र घूमता
संदेश इसका भाई चारा है..!!

आओ कि आया “राष्ट्र पर्व”
गणतंत्र हमारा है.!!

मातृभूमि पर आँच न आये
दृढ़ संकल्प हमारा है..!!

नमन “माँ भारती” तुझे,
दिया राष्ट्र पर्व प्यारा है.!!

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  • 26 January Poem in Hindi 2022

    हम गणतंत्र भारत के निवासी, करते अपनी मनमानी,
    दुनिया की कोई फिक्र नहीं, संविधान है करता पहरेदारी।।

    है इतिहास इसका बहुत पुराना, संघर्षों का था वो जमाना;
    न थी कुछ करने की आजादी, चारों तरफ हो रही थी बस देश की बर्बादी,
    एक तरफ विदेशी हमलों की मार,
    दूसरी तरफ दे रहे थे कुछ अपने ही अपनो को घात,
    पर आजादी के परवानों ने हार नहीं मानी थी,
    विदेशियों से देश को आजाद कराने की जिद्द ठानी थी,
    एक के एक बाद किये विदेशी शासकों पर घात,
    छोड़ दी अपनी जान की परवाह, बस आजाद होने की थी आखिरी आस।

    1857 की क्रान्ति आजादी के संघर्ष की पहली कहानी थी,
    जो मेरठ, कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली और अवध में लगी चिंगारी थी,
    जिसकी नायिका झांसी की रानी आजादी की दिवानी थी,
    देश भक्ति के रंग में रंगी वो एक मस्तानी थी,
    जिसने देश हित के लिये स्वंय को बलिदान करने की ठानी थी,
    उसके साहस और संगठन के नेतृत्व ने अंग्रेजों की नींद उड़ायी थी,
    हरा दिया उसे षडयंत्र रचकर, कूटनीति का भंयकर जाल बुनकर,
    मर गयी वो पर मरकर भी अमर हो गयी,
    अपने बलिदान के बाद भी अंग्रेजों में खौफ छोड़ गयी|

    उसकी शहादत ने हजारों देशवासियों को नींद से उठाया था,
    अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक नयी सेना के निर्माण को बढ़ाया था,
    फिर तो शुरु हो गया अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष का सिलसिला,
    एक के बाद एक बनता गया वीरों का काफिला,
    वो वीर मौत के खौफ से न भय खाते थे,
    अंग्रेजों को सीधे मैदान में धूल चटाते थे,
    ईट का जवाब पत्थर से देना उनको आता था,
    अंग्रेजों के बुने हुये जाल में उन्हीं को फसाना बखूबी आता था|

    खोल दिया अंग्रेजों से संघर्ष का दो तरफा मोर्चा,
    1885 में कर डाली कांग्रेस की स्थापना,
    लाला लाजपत राय, तिलक और विपिन चन्द्र पाल,
    घोष, बोस जैसे अध्यक्षों ने की जिसकी अध्यक्षता,
    इन देशभक्तों ने अपनी चतुराई से अंग्रेजों को राजनीति में उलझाया था,
    उन्हीं के दाव-पेचों से अपनी माँगों को मनवाया था|

    सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग को गाँधी ने अपनाया था,
    कांग्रेस के माध्यम से ही उन्होंने जन समर्थन जुटाया था,
    दूसरी तरफ क्रान्तिकारियों ने भी अपना मोर्चा लगाया था,
    बिस्मिल, अशफाक, आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे,
    क्रान्तिकारियों से देशवासियों का परिचय कराया था,
    अपना सर्वस्व इन्होंने देश पर लुटाया था,
    तब जाकर 1947 में हमने आजादी को पाया था|

    एक बहुत बड़ी कीमत चुकायी है हमने इस आजादी की खातिर,
    न जाने कितने वीरों ने जान गवाई थी देश प्रेम की खातिर,
    निभा गये वो अपना फर्ज देकर अपनी जाने,
    निभाये हम भी अपना फर्ज आओ आजादी को पहचाने,
    देश प्रेम में डूबे वो, न हिन्दू, न मुस्लिम थे,
    वो भारत के वासी भारत माँ के बेटे थे|

    उन्हीं की तरह देश की शरहद पर हरेक सैनिक अपना फर्ज निभाता है,
    कर्तव्य के रास्ते पर खुद को शहीद कर जाता है,
    आओ हम भी देश के सभ्य नागरिक बने,
    हिन्दू, मुस्लिम, सब छोड़कर, मिलजुलकर आगे बढ़े,
    जातिवाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, ये देश में फैली बुराई है,
    जिन्हें किसी और ने नहीं देश के नेताओं ने फैलाई है
    अपनी कमियों को छिपाने को देश को भरमाया है,
    जातिवाद के चक्र में हम सब को उलझाया है|

    अभी समय है इस भ्रम को तोड़ जाने का,
    सबकुछ छोड़ भारतीय बन देश विकास को करने का,
    यदि फसे रहे जातिवाद में, तो पिछड़कर रह जायेंगे संसार में,
    अभी समय है उठ जाओं वरना पछताते रह जाओगें,
    समय निकल जाने पर हाथ मलते रह जाओगे,
    भेदभाव को पीछे छोड़ सब हिन्दुस्तानी बन जाये,
    इस गणतंत्र दिवस पर मिलजुलकर तिरंगा लहराये।।

    26 जनवरी पर कविता

    पावन है गणतंत्र यह, करो खूब गुणगान।
    भाषण-बरसाकर बनो, वक्ता चतुर सुजान॥

    वक्ता चतुर सुजान, देश का गौरव गाओ।
    श्रोताओं का मान करो नारे लगवाओ॥

    इसी रीति से बनो सुनेता ‘रामसुहावन’।
    कीर्ति-लाभ का समय सुहाना यह दिन पावन॥

    भाई तुमको यदि लगा, जन सेवा का रोग।
    प्रजातंत्र की ओट में, राजतंत्र को भोग॥

    राजतंत्र को भोग, मजे से कूटनीति कर।
    झण्डे-पण्डे देख, संभलकर राजनीति कर॥

    लाभ जहां हो वहीं, करो परमार्थ भलाई।
    चखो मलाई मस्त, देह के हित में भाई॥

    कथनी-करनी भिन्नता, कूटनीति का अंग।
    घोलो भाषण में चटक, देश-भक्ति का रंग॥

    देश-भक्ति का रंग, उलीचो श्रोताओं पर।
    स्वार्थ छिपाओ प्रबल, हृदय में संयम धरकर॥

    अगले दिन से तुम्हें, वहीं फिर मन की करनी।
    स्वार्थ-साधना सधे, भिन्न जब करनी-कथनी॥

    बोलो भ्रष्टाचार का, होवे सत्यानाश।
    भ्रष्टाचारी को मगर, सदा बिठाओ पास॥

    सदा बिठाओ पास, आंच उस पर न आए।
    करे ना कोई भूल, जांच उसकी करवाए॥

    करे आपकी मदद, पोल उसकी मत खोलो।
    है गणतंत्र महान, प्रेम से जय जय बोलो॥

    कर लो भ्रष्टाचार का, सामाजिक सम्मान।
    सुलभ कहां हैं आजकल, सदाचरण-ईमान॥

    सदाचरण-ईमान मिले तो खोट उछालो।
    बन जाओ विद्वान, बाल की खाल निकालो॥

    रखो सोच में लोच, उगाही दौलत भर लो।
    प्रजातंत्र को नोच, कामना पूरी कर लो॥

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