छठ पूजा की कविता
Chhath Puja Kavita Poem Poetry in Hindi
खड़े है सब घाटों में,
हैं सूप लिए हाथों में,
लगा रहे जयकारे,
जय हो छठ मैय्या ।
सूप भरे ठेकुआ से,
सेब नारंगी केला से,
खड़े नारियल लेके,
जय हो छठ मैय्या ।
खड़े है सब घाटों में,
हैं सूप लिए हाथों में,
लगा रहे जयकारे,
जय हो छठ मैय्या ।
लेखक – विनय कुमार जी
छठ पूजा की कविता
सूर्य देवता का हैं अर्चन,
जो करता जीवन का अर्जन.
जिसके प्रकाश में सुख शांति मिले,
जिसकी ऊर्जा से कण-कण खिले.
हैं उसको शत-शत नमन,
जो दे हमें स्वस्थ जीवन.
छठ पूजा हैं इसका सत्कार,
सभी को शुभकामनाये हैं अपरम्पार.
Chhath Puja Kavita in Hindi
साफ-सूथरा घर आँगन,
यह पर्व है बड़ा ही पावन।
सजे हुए हैं नदी,पोखर,तलाब,
दीपों से जगमग रौशन घाट।
हवन से सुगंधित वातावरण,
सात्विक विचारों का अनुकरण।
सुचितापूर्ण जीवन का संगीत,
धार्मिक परम्पराओं का प्रतीक।
सुमधुर छठ का लोक गीत,
दिल में भरे अपनत्व और प्रीत।
भक्ति और अध्यात्म से युक्त,
तन मन निर्मल और शुद्ध।
स्वच्छ सकारात्मक व्यवहार,
समाज के उन्नति का आधार।
भोजन के साथ सुख शैया का त्याग
व्रती करते हैं कठिन तपस्या।
निर्जला निराहार होता यह व्रत
व्रती पहनते नुतन वस्त्र।
उगते,डूबते सूर्य को देते अर्ध्य
ठेकुआ,कसाढ़,फल,फूल करते अर्पण।
जीवन का भरपूर मिठास
रस,गुड़,चावल,गेहूँ से निर्मित प्रसाद।
हमारी समस्त शक्ति और उर्जा का स्त्रोत,
समाजिक सौहाद्र से ओतप्रोत।
धर्म अध्यात्म से परिपूर्ण
छठ पूजा सबसे महत्वपूर्ण।
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Chhath Puja Kavita
गोबर से, मिट्टी से, लीपा हुआ घर-दुआर
नया धान, कूद फाँद, गुद-गुद टटका पुआर
छठ मने ठेकुआ, सिंघारा-मखाना
छठ मने शारदा सिन्हा जी का गाना
बच्चों की रजाई में भूत की कहानी
देर राह तक बतियाती माँ, मौसी, मामी
व्रत नहीं, छठ मने हमरे लिए तो
व्रत खोल पान खाके हँसती हुई नानी
छठ मने छुट्टी
छठ मने हुलास
छठ मने ननिहाल
आ रहा है पास
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Chhath Puja Kavita Poem Poetry in Hindi
सूर्य की पूजा है …..छठ पूजा,
यह आस्था विश्वास का है नाम दूजा।
यह है प्रकृति की पूजा,
नदी ,चन्द्रमा,और सूर्य की पूजा।
यह है स्वच्छता का महान उत्सव,
समाजिक परिदृश्य का महापर्व।
साफ-सूथरा घर आँगन,
यह पर्व है बड़ा ही पावन।
सजे हुए हैं नदी,पोखर,तलाब,
दीपों से जगमग रौशन घाट।
हवन से सुगंधित वातावरण,
सात्विक विचारों का अनुकरण।
सुचितापूर्ण जीवन का संगीत,
धार्मिक परम्पराओं का प्रतीक।
सुमधुर छठ का लोक गीत,
दिल में भरे अपनत्व और प्रीत।
भक्ति और अध्यात्म से युक्त,
तन मन निर्मल और शुद्ध।
स्वच्छ सकारात्मक व्यवहार,
समाज के उन्नति का आधार।
भोजन के साथ सुख शैया का त्याग
व्रती करते हैं कठिन तपस्या।
निर्जला निराहार होता यह व्रत
व्रती पहनते नुतन वस्त्र।
उगते,डूबते सूर्य को देते अर्ध्य
ठेकुआ, कसाढ़, फल,फूल करते अर्पण।
जीवन का भरपूर मिठास
रस,गुड़,चावल,गेहूँ से निर्मित प्रसाद।
हमारी समस्त शक्ति और उर्जा का स्त्रोत,
समाजिक सौहाद्र से ओतप्रोत।
धर्म अध्यात्म से परिपूर्ण
छठ पूजा सबसे महत्वपूर्ण।
लेखक — लक्ष्मी सिंह
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यमुना तट पर छठ – छठ पूजा की कविता
इस नदी की साँसें लौट आई हैं
इसकी त्वचा मटमैली है
मगर पारदर्शी है इसका हृदय
इसकी आँखों में कम नहीं हुआ है पानी
घुटने भर मिलेगा हर किसी को पानी
लेकिन पूरा मिलेगा आकाश
छठव्रतियों को
परदेश में छठ करते हुए
मन थोड़ा भारी हो रहा है
महिलाओं का
दिल्ली में बहुत दूर लगती है नदी
सिर्फ गन्ने के लिए
या सिंघाड़े के लिए
लंबा सफर तय करना पड़ता है
अपना घर होता
तो दरवाजे तक पहुँचा जाता कोई सूप
गेहूँ पिसवा कर ला देता
मोहल्ले का कोई लड़का
मिल-बैठ कर औरतें
मन भर गातीं गीत
गंगा नहीं है तो क्या हुआ
गाँव की छुटकी नदी नहीं है तो क्या हुआ
यमुना तो है
हर नदी धड़कती है दूसरी नदी में
जैसे एक शहर प्रवाहित होता है
दूसरे शहर में
पर सूरज एक है
सबका सूरज एक
हे दीनानाथ!
हे भास्कर!
अर्घ्य स्वीकार करो
वह शहर जो पीछे छूट गया है
वह गाँव जो उदास है
वे घर जिनमें बंद पड़े हैं ताले
जहाँ कुंडली मारे बैठा है अँधेरा
वहाँ ठहर जाना
अपने घोड़ों को कहना
वे वहाँ रुके रहें थोड़ी देर
हे दिनकर!
यह नारियल यह केला यह ठेकुआ
सब तुम्हारे लिए है
सब तुम्हारे लिए।
लेखक – संजय कुंदन
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