Kavita Happy Diwali Poem in Hindi 

दिवाली पर हिंदी कविताएँ

दिवाली पर कविताएँ -

मंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार,

जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार,

ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार,
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार।।

मुझको जो भी मिलना हो, वह तुमको ही मले दोलत,
तमन्ना मेरे दिल की है, सदा मिलती रहे शोहरत,
सदा मिलती रहे शोहरत, रोशन नाम तेरा हो
कामो का ना तो शाया हो निशा में न अँधेरा हो।।

दिवाली आज आयी है, जलाओ प्रेम के दीपक
जलाओ प्रेम के दीपक, अँधेरा दूर करना है
दिलों में जो अँधेरा है, उसे हम दूर कर देंगे
मिटा कर के अंधेरों को, दिलो में प्रेम भर देंगे।।

मनाएं हम तरीकें से तो रोशन ये चमन होगा,
सारी दुनियां से प्यारा और न्यारा ये वतन होगा,
धरा अपनी, गगन अपना, जो बासी वो भी अपने हैं
हकीकत में वे बदलेंगे, दिलों में जो भी सपने हैं।।

Diwali Poems in Hindi

Diwali Poem in Hindi

दिवाली देखो कैसी रौनक लायी

दीपो की छठा देखो फ़िर निखर आई

वैर भाव भूल कर समानता का पैगाम लायी

आतिशबाजी मिठाई के संग खुशियों की सौगात लायी

बच्चों की आँखों देखो कैसे खिल गई

जवानों की हर अरमान पूरी हो गई

बड़े बूढों की जैसे जिंदगी सफल हो गई

दिवाली के इंतजार की वेला ख़त्म हो गई

दीपो की पंक्ति धारा को शोभित करती हैं

तारें जैसे नभ को सुशोभित करती हैं

ये रंगीला पर्व कितनी सुंदर लगती है

उत्साह की ये घड़ी मन में तरोताजा रहती है

दिलों दिमाग में हमेशा छाई रहती है

सुसज्जित वातावरण काफी आकर्षक लगती है

दिवाली बहुत सुहावनी लगती है

दिवाली कैसी मनोरम लगती है

दिवाली बड़ी लुभावनी लगती है

दिवाली कितनी खूबसूरत लगती है..--सी.आर राजश्री

Short Hindi Poems On Diwali in Hindi

पर्व है पुरुषार्थ का,
दीप के दिव्यार्थ का,
देहरी पर दीप एक जलता रहे,
अंधकार से युद्ध यह चलता रहे,
हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-कालिमा,
जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण-लालिमा,
दीप ही ज्योति का प्रथम तीर्थ है,
कायम रहे इसका अर्थ, वरना व्यर्थ है,
आशीषों की मधुर छांव इसे दे दीजिए,
प्रार्थना-शुभकामना हमारी ले लीजिए!!
झिलमिल रोशनी में निवेदित अविरल शुभकामना
आस्था के आलोक में आदरयुक्त मंगल भावना!!!

 

बच्चों के लिए दिवाली पर हिंदी कविताएँ

मन से मन का दीप जलाओ
जगमग-जगमग दि‍वाली मनाओ

धनियों के घर बंदनवार सजती
निर्धन के घर लक्ष्मी न ठहरती
मन से मन का दीप जलाओ
घृणा-द्वेष को मिल दूर भगाओ

घर-घर जगमग दीप जलते
नफरत के तम फिर भी न छंटते
जगमग-जगमग मनती दिवाली
गरीबों की दिखती है चौखट खाली

खूब धूम धड़काके पटाखे चटखते
आकाश में जा ऊपर राकेट फूटते
काहे की कैसी मन पाए दिवाली
अंटी हो जिसकी पैसे से खाली
गरीब की कैसे मनेगी दीवाली
खाने को जब हो कवल रोटी खाली
दीप अपनी बोली खुद लगाते

गरीबी से हमेशा दूर भाग जाते
अमीरों की दहलीज सजाते
फिर कैसे मना पाए गरीब दि‍वाली
दीपक भी जा बैठे हैं बहुमंजिलों पर
वहीं झिलमिलाती हैं रोशनियां

पटाखे पहचानने लगे हैं धनवानों को
वही फूटा करती आतिशबाजियां
यदि एक निर्धन का भर दे जो पेट
सबसे अच्छी मनती उसकी दि‍वाली

हजारों दीप जगमगा जाएंगे जग में
भूखे नंगों को यदि रोटी वस्त्र मिलेंगे
दुआओं से सारे जहां को महकाएंगे
आत्मा को नव आलोक से भर देगें

फुटपाथों पर पड़े रोज ही सड़ते हैं
सजाते जिंदगी की वलियां रोज है
कौन-सा दीप हो जाए गुम न पता
दिन होने पर सोच विवश हो जाते| – डॉ मधु त्रिवेदी

Popular Poem on Diwali in Hindi Font

इस साल दिवाली कुछ इस तरह मनाना दोस्तों
नफरत को भुलाकर दीप खुशियों के जलाना दोस्तों
न रह जाये कोई गम न कोई शिकायत
दीप की दीवारों पर खुशियों के रंग लगाना दोस्तों..

धनतेरस पर बहुत लिया घर का सामान
इस साल किसी गरीब का घर सजाना दोस्तों..

भाई बहन के प्यार का भी है ये त्यौहार
भाई दोज पर रूठी बहन को मनाना दोस्तों..

दूर कर देना अंधेरों को मिटा देना अहंकार को
दीपक की तरह जगमगाना दोस्तों..

कुछ इस तरह दिलो को जोड़ना दिलो से
सिर्फ अपनों को नहीं परायों को भी अपना बनाना दोस्तों…

इस साल दिवाली कुछ इस तरह मनाना दोस्तों…

Inspirational Diwali Poem in Hindi

एक दिया ऐसा भी हो,
जो भीतर तलक प्रकाश करे,
एक दिया मुर्दा जीवन में
फिर आकर क़ुछ श्वास भरे
एक दिया सादा हो इतना,
जैसे सरल साधु का जीवन,
एक दिया इतना सुन्दर हो,
जैसे देवों का उपवन
एक दिया जो भेद मिटाये,
क्या तेरा -क्या मेरा है,
एक दिया जो याद दिलाये,
हर रात के बाद सवेरा है
एक दिया उनकी खातिर हो,
जिनके घर में दिया नहीं ,
एक दिया उन बेचारों का,
जिनको घर ही दिया नहीं
एक दिया सीमा के रक्षक,
अपने वीर जवानों का
एक दिया मानवता – रक्षक,
चंद बचे इंसानों का !
एक दिया विश्वास दे उनको ,
जिनकी हिम्मत टूट गयी ,
एक दिया उस राह में भी हो ,
जो कल पीछे छूट गयी
एक दिया जो अंधकार का ,
जड़ के साथ विनाश करे ,
एक दिया ऐसा भी हो ,
जो भीतर तलक प्रकाश करे। …
आपको प्रकाशोत्सव
“दीपावली ” की हार्दिक -शुभकामना

 

Poem on Deepawali in Hindi

हर घर दीप जग मगाए तो दिवाली आयी हैं,
लक्ष्मी माता जब घर पर आये तो दिवाली आयी हैं!
दो पल के ही शोर से क्या हमें ख़ुशी मिलेंगी,
दिल के दिए जो मिल जाये तो दिवाली आयी हैं !
घर की साफ सफ़ाई से घर चमकाएँ तो दिवाली आयी हैं,
पकवान – मिठाई सब मिल कर खाएं तो दिवाली आयी हैं!
फटाकों से रोशनी तो होंगी लेकिन धुँआ भी होंगा,
दिए नफ़रत के बुज जाएँ तो दिवाली आयी हैं!
इस दिवाली सबके लिए यही सन्देश हैं की
इस दिवाली हम लक्ष्मी का स्वागत दियों के करे,
फटाकों के शोर और धुएं से नहीं
इस बार दिवाली प्रदुषण मुक्त मनायेंगे!

Poem on Diwali in Hindi For Class 1, 2, 3, 6

मंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार,
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार,
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार,
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार…

मुझको जो भी मिलना हो, वह तुमको ही मले दोलत,
तमन्ना मेरे दिल की है, सदा मिलती रहे शोहरत,
सदा मिलती रहे शोहरत, रोशन नाम तेरा हो
कामो का ना तो शाया हो निशा में न अँधेरा हो…

दिवाली आज आयी है, जलाओ प्रेम के दीपक
जलाओ प्रेम के दीपक, अँधेरा दूर करना है
दिलों में जो अँधेरा है, उसे हम दूर कर देंगे
मिटा कर के अंधेरों को, दिलो में प्रेम भर देंगे…

मनाएं हम तरीकें से तो रोशन ये चमन होगा
सारी दुनियां से प्यारा और न्यारा ये वतन होगा
धरा अपनी, गगन अपना, जो बासी वो भी अपने हैं
हकीकत में वे बदलेंगे, दिलों में जो भी सपने हैं…

दिवाली पर कविताएं

छोड़-छाड़ कर दवेष-भाव को,
मीत प्रीत की रीत निभाओ,
दिवाली के शुभ अवसर पर,
मन से मन का दीप जलाओ…

क्या है तेरा क्या है मेरा,
जीवन चार दिन का फेरा,
दूर कर सको तो कर डालो,
मन का गहन अँधेरा,
निंदा नफरत बुरी आदतों,
से छुटकारा पाओ…

दिवाली के शुभ अवसर पर,
मन से मन का दीप जलाओ…

खूब मिठाई खाओ छक कर,
लड्डू, बर्फी, चमचम, गुझिया…

पर पर्यावरण का रखना ध्यान,
बम कहीं न फोड़ें कान…

वायु प्रदुषण, धुएं से बचना,
रौशनी से घर द्ववार को भरना…

दिवाली के शुभअवसर पर,
मन से मन का दीप जलाओ…

चंदा सूरज से दो दीपक,
तन मन से उजियारा कर दें…

हर उपवन से फूल तुम्हारे
जब तक जियो शान से,
हर सुख, हर खुशहाली पाओ,
दिवाली के शुभ अवसर पर,
मन से मन का दीप जलाओ…

Heart Touching Kavita on Diwali

आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीप को प्रज्वलित कर दो आप अपने नाम से.
पाप का अँधेरा मिटे,
और शान्ति का साम्राज्य हो.
बंद हो जाए लड़ाई मजहबों के नाम से.
आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,

दीपक जले फ़िर प्रेम का,
सौहार्द की हो रोशनी.
चलने लगे फ़िर से ये दुनिया राम के आदर्श पे.
राम के आदर्श पे धरती बने फ़िर स्वर्ग सी.
कहे कवि “मेजर” ये दुनिया है तेरे एहसान से.
आज एक वर मांगता हूँ मैं तो अपने राम से,
दीप को प्रज्वलित कर दो आप अपने नाम से. – जीतेन्द्र कुमार तिवारी ” मेजर”

 

Diwali Par Kavita in Hindi

दीपो से महके संसार
फुलझड़ियो की हो झलकार
रंग-बिरंगा है आकाश
दीपों की जगमग से आज
हँसते चेहरे हर कहीं
दिखते है प्यारे-प्यारे से
दीवाली के इस शुभ दिन पर
दीपक लगते है प्यारे से |
मुन्ना- मुन्नी गुड्डू-गुड्डी ,
सबके मन में है हसी-ख़ुशी
बर्फी पेठे गुलाब जामुन पर
देखो सबकी नज़र गड़ी
बजते बम रोकेट अनार पटाखे |
दिखते है प्यारे-प्यारे से
दीवाली के इस शुभ-दिन पर
दीपक लगते है प्यारे से |
मन में ख़ुशी दमकती है
होठो से दुआ निकलती है
इस प्यारे से त्यौहार में
आखें ख़ुशी से झलकती है
आओ मिलकर अब हम बाटें
हँसी-ख़ुशी हर चेहरे में
दीवाली के इस शुभ-दिन पर
दीपक लगते है प्यारे से |

दिवाली पर बाल कविता

दीपों की सुंदर पंक्ति में,
लगी एक पंक्ति बच्चों की।

सुंदर-सुंदर दीप जले थे,
बच्चे भी लग रहे खिले थे।

पूरे घर पर सजी थी माला,
खुशियों का भर गया उजाला

जगमग-जगमग जग था सारा,
दिवाली त्योहार है प्यारा।  -निधि यादव

 

Poems on Diwali in Hindi For Class 6, 7 & 8

जब मन में हो मौज बहारों की
चमकाएं चमक सितारों की,
जब ख़ुशियों के शुभ घेरे हों
तन्हाई में भी मेले हों,
आनंद की आभा होती है
उस रोज़ ‘दिवाली’ होती है,
जब प्रेम के दीपक जलते हों
सपने जब सच में बदलते हों,
मन में हो मधुरता भावों की
जब लहके फ़सलें चावों की,
उत्साह की आभा होती है
उस रोज दिवाली होती है,
जब प्रेम से मीत बुलाते हों
दुश्मन भी गले लगाते हों,
जब कहीं किसी से वैर न हो
सब अपने हों, कोई ग़ैर न हो,
अपनत्व की आभा होती है
उस रोज़ दिवाली होती है,
जब तन-मन-जीवन सज जायें
सद्-भाव  के बाजे बज जायें,
महकाए ख़ुशबू ख़ुशियों की
मुस्काएं चंदनिया सुधियों की,
तृप्ति की आभा होती  है
उस रोज़ ‘दिवाली’ होती है|

Short Poems on Diwali in Hindi

दीप जलाओ दीप जलाओ
आज दिवाली रे |
खुशी-खुशी सब हँसते आओ
आज दिवाली रे।
मैं तो लूँगा खील-खिलौने
तुम भी लेना भाई
नाचो गाओ खुशी मनाओ
आज दिवाली आई।
आज पटाखे खूब चलाओ
आज दिवाली रे
दीप जलाओ दीप जलाओ
आज दिवाली रे।
नए-नए मैं कपड़े पहनूँ
खाऊँ खूब मिठाई
हाथ जोड़कर पूजा कर लूँ
आज दिवाली आई।

Diwali Hindi Kavita

होती थी यह वर्षों पहले
जब दिवाली में जलते थे दिये
पर अब चाहे हो जैसे
दिवाली में जलते हैं पैसे
छोड़ते हैं बम-पटाखे
और छोड़ते हैं रॉकेट
फैलाते है प्रदुषण
बढ़ाते हैं बीमारी
चाहे हो जैसे
पर दिवाली में जलते हैं पैसे
दिवाली मैं दिये अब जलते नहीं

दिये के स्थान पर है अब मोमबत्ती
मोमबत्ती का स्थान भी ले लिया अब बिजली
बिना बिजली के नहीं होता अब दिवाली
पर आपस में ख़ुशी बाँटने के जगह
खेलकर जुआ करते हैं पैसे की बर्बादी
चाहे हो जैसे
पर दिवाली में जलते हैं पैसे
दिवाली में जलते हैं पैसे... --महेश कुमार वर्मा

Poems on Diwali in Hindi Font

प्रभु राम चंद्र जी सीता जी संग आयोध्या लौट के आये
आयोध्या वासियो ने ख़ुशी में घी के दीये जलाये
दिवाली का पर्व चलो मिलकर सब मनायें
पटाखों का धुंआ नहीं दीपमाला जलायें
रंगों भरी रंगोली हो, मिठाई से भरी थाली हो
दोस्तों से मिलें, उपहार दे और लें
करें दान आज के वार
आप सबको मुबारक हो दिवाली का त्यौहार…

Poems on Diwali in Hindi For Class 8, 9 & 10

दीपो से महके संसार
फुलझड़ियो की हो झलकार
रंग-बिरंगा है आकाश
दीपों की जगमग से आज
हँसते चेहरे हर कहीं
दिखते है प्यारे-प्यारे से
दीवाली के इस शुभ दिन पर
दीपक लगते है प्यारे से |
मुन्ना- मुन्नी गुड्डू-गुड्डी ,
सबके मन में है हसी-ख़ुशी
बर्फी पेठे गुलाब जामुन पर
देखो सबकी नज़र गड़ी
बजते बम रोकेट अनार पटाखे |
दिखते है प्यारे-प्यारे से
दीवाली के इस शुभ-दिन पर
दीपक लगते है प्यारे से |
मन में ख़ुशी दमकती है
होठो से दुआ निकलती है
इस प्यारे से त्यौहार में
आखें ख़ुशी से झलकती है
आओ मिलकर अब हम बाटें
हँसी-ख़ुशी हर चेहरे में
दीवाली के इस शुभ-दिन पर
दीपक लगते है प्यारे से |

दीपावली पर छोटी हिन्दी कविताएं

रात अमावस की तो क्या,
घर घर हुआ उजाला, सजे कोना कोना दिपशिखा से!
मन मुटाव मत रखना भाई, आयी दिवाली आयी !
झिलमिल झिलमिल बिजली की, रंगबी रंगी लड़िया
दिल से हटा दो फरेब की फुलझड़िया!
दिवाली पर्व हैं मिलन का, नजर पड़े जिस और देखो
भरे हैं खुशियों से चेहरे !
चौदह बरस बाद लौटे हैं, सिया लखन रघुराई
दिवाली का दिन हैं जैसे, घर में हो कोई शादी!

दीपावली पर हास्य कविता

उजियारा कर देने वाली
मुस्कानों से भी परिचित हूं,
पर मैंने तम की बाहों में अपना साथी पहचाना है
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है।
-हरिवंशराय बच्चन


दीपमाला में मुसर्रत की खनक शामिल है
दीप की लौ में खिले गुल की चमक शामिल है
जश्न में डूबी बहारों का ये तोहफ़ा शाहिद
जगमगाहट में भी फूलों की महक शामिल है
-शाहिद मिर्ज़ा शाहिद


जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
-गोपालदास “नीरज”


आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ
-अटल बिहारी वाजपेयी


जलती बाती मुक्त कहाती
दाह बना कब किसको बंधन
रात अभी आधी बाकी है
मत बुझना मेरे दीपक मन
-रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’

Hindi Diwali Poem For Kids

जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।
लिपा-पुता होगा घर-आंगन,
द्वारे-द्वारे गेरू वंदन।

दीप जलेंगे तब भागेगा,
अंधियारा डरकर।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।

खूब जलाएंगे हम सब मिल,
महताबें, फुलझड़ियां।
बिखर जाएंगी धरती पर ज्यों,
हों फूलों की लड़ियां।

उड़ जाएंगे दूर गगन में,
रॉकेट सर सर सर…।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।

गांवों के ऐसे गरीब जो,
नहीं मिठाई खाते।
दीप पर्व पर ही बेचारे,
भूखे ही सो जाते।

खील‍-खिलौने बांटेंगे हम
उनको जी भरकर।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर। – डॉ. देशबंधु शाहजहांपुरी…

दिवाली पर कविता – दीपावली पर हिन्दी कविता

आई रे आई जगमगाती रात है आई
दीपों से सजी टिमटिमाती बारात हैं आई
हर तरफ है हंसी ठिठोले
रंग-बिरंगे, जग-मग शोले
परिवार को बांधे हर त्यौहार
खुशियों की छाए जीवन में बहार
सबके लिए हैं मनचाहे उपहार
मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान
कराता सबका मिलन हर साल
दीपावली का पर्व सबसे महान
आई रे आई जगमगाती रात है आई..

दीपावली पर कविता हिंदी में

मनानी है ईश कृपा से इस बार दीपावली,
वहीं……… उन्हीं के साथ जिनके कारण
यह भव्य त्योहार आरम्भ हुआ …….
और वह भी उन्हीं के धाम अयोध्या जी में,

अपने घर तो हर व्यक्ति मना लेता है दीपावली
परन्तु इस बार यह विचित्र इच्छा मन में आई है……….
हाँ …छोटी दीवाली तो अपने घर में ही होगी,
पर बड़ी रघुनन्दन राम सियावर राम जी के साथ |

कितना आनन्द आएगा जब जन्म भूमि में
रघुवर जी के साथ मैं छोड़ूँगा पटाखे और फुलझड़ियाँ…….
जब मैं उनकी आरती करूँगा
जब मैं दीए उनके घर में जलाऊंगा
उस आनन्द का कैसे वर्णन करूँ जो
इस जीवन को सफल बनाएगा |

मैं गर्व से कहूँगा कि हाँ मैने इस जीवन का
सच्चा आनन्द आज ही प्राप्त किया है
अपलक जब मैं रघुवर को जब उन्हीं के भवन में
निहारूँगी वह क्षण परमानन्द सुखदायी होंगें |

हे रघुनन्दऩ कृपया जल्द ही मुझे वह दिन दिखलाओ
इन अतृप्त आँखों को तृप्त कर दो
चलो इस बार की दीपावली मेरे साथ मनाओ
इच्छा जीने की इसके बाद समाप्त हो जाएगी
क्योंकि सबसे प्रबल इच्छा जो मेरी तब पूरी हो जाएगी|

दिवाली 2024 पर हिंदी कविता

बाँध रोशनी की गठरी
फिर आई दीवाली।।

पूरी रात चले हम
लेकिन मंज़िल नहीं मिली
लौट-फेर आ गए वहीं
पगडंडी थी नकली
सफर गाँव का और
अँधेरे की चादर काली।
बाँध रोशनी की गठरी
फिर आई दीवाली।।

ताल ठोंक कर तम के दानव
कितने खड़े हुए
नन्हें दीप जुटाकर साहस
कब से अड़े हुए
हवा, समय का फेर समझकर
बजा रही ताली।
बाँध रोशनी की गठरी
फिर आई दीवाली।।

लक्ष्य हेतु जो चला कारवाँ
कितने भेद हुए
रामराज की बातें सुन-सुन
बाल सफ़ेद हुए
ज्वार ज्योति का उठे
प्रतीक्षा दिग-दिगंत वाली।
बाँध रोशनी की गठरी
फिर आई दीवाली।।

लड़ते-लड़ते दीप अगर
तम से, थक जाएगा
जुगुनू है तैयार, अँधेरे से
भिड़ जाएगा
विहंसा व्योम देख दीपक की
अद्भुत रख वाली।
बाँध रोशनी की गठरी
फिर आई दीवाली।। -डॉ. जगदीश व्योम

 

Poem For Diwali in Hindi For Class 4 & 5

प्रभु राम चंद्र जी सीता जी संग आयोध्या लौट के आये
आयोध्या वासियो ने ख़ुशी में घी के दीये जलाये
दिवाली का पर्व चलो मिलकर सब मनायें
पटाखों का धुंआ नहीं दीपमाला जलायें
रंगों भरी रंगोली हो, मिठाई से भरी थाली हो
दोस्तों से मिलें, उपहार दे और लें
करें दान आज के वार
आप सबको मुबारक हो दिवाली का त्यौहार…

Diwali Poem in Hindi Of 10 Lines

हर घर दीप जग मगाए तो दिवाली आयी हैं,
लक्ष्मी माता जब घर पर आये तो दिवाली आयी हैं!
दो पल के ही शोर से क्या हमें ख़ुशी मिलेंगी,
दिल के दिए जो मिल जाये तो दिवाली आयी हैं !
घर की साफ सफ़ाई से घर चमकाएँ तो दिवाली आयी हैं,
पकवान – मिठाई सब मिल कर खाएं तो दिवाली आयी हैं!
फटाकों से रोशनी तो होंगी लेकिन धुँआ भी होंगा,
दिए नफ़रत के बुज जाएँ तो दिवाली आयी हैं!
इस दिवाली सबके लिए यही सन्देश हैं की
इस दिवाली हम लक्ष्मी का स्वागत दियों के करे,
फटाकों के शोर और धुएं से नहीं
इस बार दिवाली प्रदुषण मुक्त मनायेंगे!

Popular Poems on Diwali in Hindi For College Students

जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।
लिपा-पुता होगा घर-आंगन,
द्वारे-द्वारे गेरू वंदन।

दीप जलेंगे तब भागेगा,
अंधियारा डरकर।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।

खूब जलाएंगे हम सब मिल,
महताबें, फुलझड़ियां।
बिखर जाएंगी धरती पर ज्यों,
हों फूलों की लड़ियां।

उड़ जाएंगे दूर गगन में,
रॉकेट सर सर सर…।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।

गांवों के ऐसे गरीब जो,
नहीं मिठाई खाते।
दीप पर्व पर ही बेचारे,
भूखे ही सो जाते।

खील‍-खिलौने बांटेंगे हम
उनको जी भरकर।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर – डॉ. देशबंधु शाहजहांपुरी…

 

जंगल में दीपावली पर हास्य कविता

जंगल में मन रही दिवाली
कितनी सुंदर बड़ी निराली।

शेरु राजा ने मांदों पर
टाँगी झालर दीप जलाए
और शेरनी ने भी सबको
खील-बताशे खूब खिलाए
हाथी दादा ने लड्डू की

पूरी थाली चट कर डाली।
जंगल में मन रही दिवाली।।

मीकू बंदर डाली पर चढ़
चला रहा देखो फुलझड़ियाँ
लोमड़ ने भोंदू की दुम में
बाँध जला दी बम की लड़ियाँ
भोंदू भागा फिरता डरकर

ढेंचू-ढेंचू देकर गाली।
जंगल में मन रही दिवाली।। -निशेष जार

 

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